काज़िम जरवली
शायर-ए-फ़िक्र
Monday, November 7, 2011
आँधियों का सफ़र
मै लाख सच था
,
मगर सच पा ध्यान देता कौन
,
बिकी हुई थीं ज़बाने बयान देता कौन
।
जब आँधियों ने किया था हमारे घर का सफ़र
,
सभी थे महवे तमाशा अज़ान देता कौन
।
न रंगता अपना ही चेहरा तो और क्या करता
,
हमारे खून को "काज़िम" अमान देता कौन
।
।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment