काज़िम जरवली
शायर-ए-फ़िक्र
Monday, November 7, 2011
खुशबुए गुल
जब शाम हुई अपने दीये हमने जलाये ,
सूरज का उजाला कभी शब् तक नही पहुंचा
।
जिस फूल मे खुशबु थी उधर सर को झुकाया ,
हर फूल के मै नाम-ओ-नसब तक नही पहुंचा
।।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment