Monday, November 7, 2011

खुशबुए गुल


जब शाम हुई अपने दीये हमने जलाये ,
सूरज का उजाला कभी शब् तक नही पहुंचा


जिस फूल मे खुशबु थी उधर सर को झुकाया ,
हर फूल के मै नाम-ओ-नसब तक नही पहुंचा ।। 


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