Thursday, October 27, 2011

ग़र्दिश-ए-दुनिया

मुफलिसी मे भी यहाँ खुद को संभाले रखना,
जेब खाली हो मगर हाथो को डाले रखना  

रोज़ ये खाल हथेली से उतर जाती है,
इतना आसान नहीं मुह मे निवाले रखना

गाँव पूछेगा के शहर से किया लाये हो,
मेरे माबूद सलामत मेरे छाले रखना

ज़िन्दगी तूने अजब काम लिया है मुझ्से,
ज़र्द पत्तो को हवाओ मे संभाले रखना

जब भी सच बात ज़बां पर कभी लाना काज़िम
ज़ेहन मे अपने किताबो के हवाले रखना ।।    --काज़िम जरवली

No comments:

Post a Comment